RAJAT JOSHI sagawara
मन की दुर्बलता Weaknes of Mind
मन की दुर्बलता से अधिक भयंकर और कोई पाप नहीं है। -स्वामी विवेकानंदआचरण अच्छा हो तो मन में अच्छे विचार ही आते हैं।
Sunday, August 17, 2011
तर्क Logic
कृपया मूर्खों से कभी तर्क मत कीजिये। क्योंकि पहले वे आपको अपने स्तर पर लायेंगे और फिर अपने अनुभवों से आपकी धुलाई कर देंगे।
सृजन Creation
एक बीज बढ़ते हुए कभी कोई आवाज नहीं करता, मगर एक पेड़ जब गिरता है तो जबरदस्त शोर और प्रचार के साथ... । विनाश में शोर है, सृजन हमेशा मौन रहकर समृद्धि पाता है।
Thursday, August 14, 2011
अवसर Opportunity
अवसर उनकी मदद कभी नहीं करता जो अपनी मदद नहीं करते।
ऐसा न सोचो कि अवसर तुम्हारा दरवाजा दोबारा खटखटाएगा।
मुझे रास्ता मिलेगा, नहीं तो मैं बना लूँगा।
समय और सागर की लहर किसी की प्रतीक्षा नहीं करती।
तृषित बारी बिनु जो तनु त्यागा। मुंए करइ का सुधा तड़ागा ॥
का वरषा जब कृषी सुखाने। समय चूकि पुनि का पछिताने॥
यदि मनुष्य प्यास से मर जाए तो मर जाने के बाद उसे अमृत के सरोवर का भी क्या लाभ ? यदि कोई मनुष्य अवसर पर चूक जाय, तो उसका पछताना निष्फल है।
मनुष्य के लिए जीवन में सफलता पाने का रहस्य है, हर आने वाले अवसर के लिए तैयार रहना।
कोई महान व्यक्ति अवसर की कमी की शिकायत कभी नहीं करता।
We are not creatures of circumstances, we are creators of circumstances.
ऐसा न सोचो कि अवसर तुम्हारा दरवाजा दोबारा खटखटाएगा।
मुझे रास्ता मिलेगा, नहीं तो मैं बना लूँगा।
समय और सागर की लहर किसी की प्रतीक्षा नहीं करती।
तृषित बारी बिनु जो तनु त्यागा। मुंए करइ का सुधा तड़ागा ॥
का वरषा जब कृषी सुखाने। समय चूकि पुनि का पछिताने॥
यदि मनुष्य प्यास से मर जाए तो मर जाने के बाद उसे अमृत के सरोवर का भी क्या लाभ ? यदि कोई मनुष्य अवसर पर चूक जाय, तो उसका पछताना निष्फल है।
मनुष्य के लिए जीवन में सफलता पाने का रहस्य है, हर आने वाले अवसर के लिए तैयार रहना।
कोई महान व्यक्ति अवसर की कमी की शिकायत कभी नहीं करता।
We are not creatures of circumstances, we are creators of circumstances.
Wednesday, August 13, 2011
चिंता Worries
कार्य की अधिकता मनुष्य को नहीं मारती, बल्कि चिंता मारती है।
चाह गई चिंता मिटी, मनुआ बेपरवाह।
जिनको कछू न चाहिए, सोई साहंसाह ॥
चिंता एक काली दिवार की भांति चारों ओर से घेर लेती है, जिसमें से निकलने की फिर कोई गली नहीं सूझती।
चिंता रोग का मूल है।
बिस्तर पर चिंताओं को ले जाना, पीठ पर गट्ठर बाँध कर सोना है।
प्राणियों के लिए चिंता ही ज्वर है।
चिंताएं, परेशानियां, दुःख और तकलीफें परिस्थितियों से लड़ने से नहीं दूर हो सकतीं, वे दूर होंगी अपनी अंदरूनी कमजोरी दूर करने से जिसके कारण ही वे सचमुच पैदा हुईं है।
चिंता करता हूँ मैं जितनी
उस अतीत की, उस सुख की,
उतनी ही अनंत में बनती
जातीं रेखाएं दुःख की।दया Compassion
दया दोतरफी कृपा है। इसकी कृपा दाता पर भी होती है और पात्र पर भी।
जहां दया तहं धर्म है, जहां लोभ तहं पाप।
जहां क्रोध तहं काल है, जहां क्षमा आप॥ -
दया धर्म का मूल है, पाप मूल अभिमान।
तुलसी दया न छांड़िए, जब लग घट में प्राण॥
दया मनुष्य का स्वाभाविक गुण है।
दया के छोटे-छोटे से कार्य, प्रेम के जरा-जरा से शब्द हमारी पृथ्वी को स्वर्गोपम बना देते हैं।
मुझे दया के लिए भेजा है, शाप देने के लिए नहीं।
जो असहायों पर दया नहीं करता, उसे शक्तिशालियों के अत्याचार सहने पड़ते हैं।
न्याय करना ईश्वर का काम है, आदमी का काम तो दया करना है। -फ्रांसिस
हम सभी ईश्वर से दया की प्रार्थना करते हैं और वही प्रार्थना हमें दया करना भी सिखाती है। -
जो सचमुच दयालु है, वही सचमुच बुद्धिमान है, और जो दूसरों से प्रेम नहीं करता उस पर ईश्वर की कृपा नहीं होती।
दयालुता दयालुता को जन्म देती है।
दयालुता हमें ईश्वर तुल्य बनती है।
दयालु चेहरा सदैव सुंदर होता है
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